तुम्हारी बात
नसीरुद्दीन और जमाल साहब बनठन कर घूमने के लिए निकले।(क) तुम बनठन कर कहाँ-कहाँ जाते हो?
उत्तर:बनठन कर मैं विवाह-समारोह में, जन्मदिन समारोह में तथा मॉल में जाता हूँ।
(ख) तुम किस-किस तरह से बनते-ठनते हो?
उत्तर:मैं नए कपड़े और जूते पहनकर बनता-ठनता हूँ।
तुम्हारी समझ से
(क) तीसरे मकान से बाहर निकलकर जमाल साहब ने नसीरुद्दीन से क्या कहा होगा?
उत्तर:अब मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना है। मुझे वापस ले चलो।
(ख) जमाल साहब अपने मामूली से कपड़ों में घूमने क्यों नहीं जाना चाहते होंगे?
उत्तर:शायद उनका ख्याल हो कि आदमी की हैसियत की पहचान उसके कपड़ों से होती है। अगर वे
मामूली से कपड़े पहनेंगे तो लोग समझेंगे कि वे मामूली या साधारण आदमी हैं।
(ग) नसीरुद्दीन अपनी अचकन के बारे में हमेशा क्यों बताते होंगे?
उत्तर:बस हँसने-हँसाने के लिए।
शब्दों का हेरफेर
झूठा – जूठा इन शब्दों को बोलकर देखो। ये मिलती-जुलती आवाज़ वाले शब्द हैं। ज़रा से अंतर से भी
शब्द का अर्थ बदल जाती है।
नीचे इसी तरह के कुछ शब्दों के जोड़े दिए गए हैं। इन सबके अर्थ अलग-अलग हैं। इन शब्दों का वाक्यों
में प्रयोग करो।
उत्तर:
- घड़ा – आज मैंने मिट्टी का घड़ा खरीदा।।
- गढ़ा – कुम्हार ने मिट्टी के बर्तन गढ़े।
- घूम – मैं अभी-अभी घूम कर आया हूँ।
- झूम – विशाल के जन्मदिन समारोह में सभी मस्ती में झूम रहे थे।
- राज – भारत में अंग्रेजों का राज था।
रज़ा – कहो तो मैं उसके राज़ की बात बता दें।- फन – मेरा दोस्त कार्टून बनाने के फन में माहिर है।
फन – साँप का फन देखो।- सज़ा – मेरे जन्मदिन के अवसर पर पूरा घर सजा था।
सज़ा – गलत करने वाले को सज़ा जरूर मिलनी चाहिए।- खोल – वह खिड़की खोलकर छोड़ दिया।
खौल – आग पर पानी खौल रहा है।
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